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Pareshan kauwa aur santh ki kahan : आज के वक्त में ना जाने कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें अपने आप को देखकर बुरा लगता है जो हमेशा दूसरो को देखकर सोचते हैं की काश मेरी ज़िंदगी इस इंसान की तरह होती तो कितना अच्छा होता आज की ये Pareshan kauwa aur santh ki kahani उन सभी लोगों के लिए है जो अपने आप से खुश नहीं हैं।
परेशान कौआ और साधु की प्रेरणादायक कहानी : एक गांव के छोटे से जंगल में एक कौवा रहता था जोकि हमेशा उदास रहता। उसी जंगल में एक संत हमेशा आया करते थे। वो सारे पंछियों को देखते जो हमेशा खुश रहते और उस कौवे को देखते जो हमेशा उदास रहता। एक दिन संत जंगल से गुज़र कर जा रहे थे की अचानक उन्होंने किसी के रोने की आवाज़ सुनी संत कुछ वक्त के लिए वही रुक गए। संत ने देखा की एक पेड़ की डाली पर बैठ कर कावा रो रहा है।
संत ने कौवे को अपने पास बुलाया और कौवे से पूछा : तुम रो क्यों रहे हो मैं हमेशा यहां आता हूं और देखता हु की तुम हमेशा दुखी रहते हों आखिर बात क्या है।
कौवे ने जवाब दिया : मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत परेशान हूं। कैसी ज़िंदगी हैं ये जब अपने आप को देखता हु तो रंग काला मेरी आवाज़ भी ऐसी है की लोग मेरी आवाज़ सुनकर मुझे भगा देते है। मुझे मेरी ये ज़िंदगी और मेरा ये रूप बिलकुल भी पसंद नहीं है
संत ने पूछा अगर तुम्हे मौका मिले तो तुम किस की तरह बनना चाहोगे। मेरे पास एक ऐसी शक्ति है की मैं तुम्हारा रूप और ज़िंदगी दोनो बदल सकता हूं।
कौवा ने कहा: अगर मुझे मौका मिले तो मैं हंस बनना चाहूंगा। क्या रूप हैं उसका सफेद कितना सुंदर दिखता है। लोग उसको देखने के लिए घंटो तक खड़े रहते हैं।
संत ने कहा : ठीक है मैं तुम्हें हंस बना सकता हूं लेकिन मेरी एक शर्त है तुम्हे पहले हंस से जाकर पूछना होगा की क्या वो अपनी ज़िंदगी में खुश हैं।
कौवा फौरन हंस के पास गया जहां लोग मुस्कुरा कर हंस को देख रहे थे
कौवे ने हंस से सवाल पूछा: हंस भाई तुम्हारी ज़िंदगी तो कितनी अच्छी है। तुम कितने सुंदर हो एक दम सफेद लोग तुम्हें देखने के लिए घंटो तक इंतजार करते और हमेशा तुम्हे देखकर खुश होते हैं।
हंस ने जवाब दिया: मेरी ज़िंदगी बहुत बेकार है और ये रूप ये रंग भी कोई रंग है सफेद तुम्हे पता है लोग मुझे सिर्फ इसलिए देखते हैं क्युकी सफेद रंग शांति का प्रतीक है और अपने आस पास देखो हर चीज़ का कोई न कोई रंग होता है बस मैं ही बेरंग हूं।
हंस की ये बात सुनकर कौवा हंस को संत के पास लेकर गया कौवे ने सारी बाते संत को बताई
संत और कौवे ने हंस से सवाल पूछा : तुम्हे किस पक्षी का रंग रूप पसंद है जिसकी ज़िंदगी भी बेहतर हो।
हंस ने जवाब दिया : तोता मुझे तोते की ज़िंदगी बहुत पसंद हैं कितना प्यारा रंग है उसका हरा और लाल चोंच लोग उसको अपने घर में रखते हैं मिट्ठू मिया मिट्ठू मिया कहकर प्यार करते हैं उसे खाना खिलाते हैं मैं तोता बनना चाहता हूं।
संत ने कहा : मैं तुम्हे तोता बना सकता हूं लेकिन शर्त मेरी अभी भी वही है तुम्हे पहले तोते से जाकर पूछना होगा कि क्या वो अपनी ज़िंदगी और रंग रूप से खुश हैं।
संत की ये शर्त सुनकर कौवा और हंस एक तोते के पास गए
कौवे ने तोते से पूछा : तोता भाई तुम तो अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश होगे। तुम्हारे पास तो इतना प्यारा रंग भी है लोग तुम्हे प्यार करते हैं।
ये सुनकर तोते ने जवाब दिया : किसने कहा मैं खुश हूं मैं हमेशा इस पिंजड़े में कैद रहता हूं और इतने सुंदर आसमान की तरफ देखता रहता हूं। मैं हमेशा इस आसमान में आज़ादी से उड़ना चाहता हूं। लेकिन अपने इस रंग रूप की वजह से मैं वो भी नही कर सकता।
ये सुनकर कौवा और हंस तोते को लेकर संत के पास गए और संत को सारी बातें बताई
संत ने तोते से सवाल किया : तुम किस पक्षी की तरह बनना चाहते हों जिसकी ज़िंदगी भी बेहतर हो।
तोते ने जवाब दिया : मैं एक मोर बनना चाहता हूं कितना सुंदर है वो उसके पास कितने सारे रंग है। जब वो नाचता हैं तो बारिश होती है। उसकी ज़िंदगी और रंग रूप सबसे अच्छा है।
संत ने कहा : मैं तुम्हे मोर बना सकता हूं लेकिन शर्त मेरी अभी भी वही है तुम्हे पहले मोर से जाकर पूछना होगा कि क्या वो अपनी ज़िंदगी और रंग रूप से खुश हैं।
कौवा हंस और तोता तीनों मोर को ढूंढने लगे बहुत देर के बाद उन्हें एक मोर मिला
कौवे ने मोर से पूछा : मोर भाई तुम्हारी ज़िंदगी तो कितनी अच्छी है। तुम कितने सुंदर हो लोग तुम्हे देखना चाहते हैं जब तुम बारिश के वक्त नाचते हो तो कितने सुंदर लगते हो।
ये सुनकर मोर ने जवाब दिया मेरी ज़िंदगी सबसे ज़्यादा बेकार है मेरे रंग रूप की वजह से ही लोग हमे मार देते हैं हमारे पंख और शरीर के हिस्सो को बाज़ार में बेचा जाता है अभी कुछ वक्त पहले मेरी मां को गोली मार दी मैं कितने वक्त तक ज़िंदा रहूंगा मुझे पता नहीं और तुम कह रहे हो मेरी ज़िंदगी अच्छी है।
ये सुनकर कौवा गुस्सा होकर बोला: आखिर वो कौन सा पक्षी है जिसकी ज़िंदगी और रंग रूप सबसे अच्छा है।
ये बात सुनकर मोर ने जवाब दिया कौवा भाई तुम्हारी कोई तुम्हे घंटो तक देखकर परेशान नहीं करता और ना ही तुम्हे पिंजड़े में कैद किया जाता है तुम आज़ादी से आसमान में उड़ सकते हो। और कोई तुम्हे मारने के बारे में नही सोचता तुम अपनी ज़िंदगी को अपने हिसाब से जी सकते हो।
ये बात सुनकर कौवा हंस और तोता सब हैरान होकर सोचने लगे उस वक्त कौवे को अपनी ज़िंदगी और रंग रूप की अहमियत समझ में आ गई
सिख
कभी भी अपनी तुलना दूसरो से न करे क्युकी परेशानियां हर किसी की ज़िंदगी में होती हैं बस उन परेशानियों का सामना करे।
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